प्राईमरी क्लास में एक शिक्षक का प्रवेश होता है। वो आज पढ़ाने के
मूड में नहीं थे। अंत: उन्होंने बच्चो को मुश्किल सवाल देता है। यह सवाल था कि 1 से 100 तक की गिनतियों का जोड़
बताना है। अब शिक्षक आराम से कुर्सी से पीठ टिकाकर सो जाते है;
लेकिन पांच ही मिनिट में आठ वर्षीय एक बालक
उसके आराम में खलेल डालता है। शिक्षक की आँखे यह देखकर फट जाती है क्युकि उस
बालक ने यह सवाल का हल विशेष तरीके से बहुत ही जल्द निकाल दिया था। यह बालक और कोई नहीं बल्कि कार्ल फेडरिक ग्रॉस था। गॉस को दुनिया ने 'गणित के राजकुमार' की पदवी दी; जो निःसंदेह योग्य थी।

गणित और विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उनका बहुत योगदान रहा है। ग्राउस ने कभी गणित को "विज्ञान की रानी" भी कहाँ
है। सिरेस नामक ग्रह के सबंध
में उन्होंने जो गणना की इसके कारण ग्राउस की गणना खगोलशास्त्रियों में भी की जाती
है। 1807 से मृत्यु पर्यत वे गर्टिगन वेधशाला का निदेशक रहे। 77 वय की आयु में उनका निधन 23
फ़रवरी 1855 को गोटिंजन के हनोवर राज्य में हुआ था।
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