रंगमंच वह स्थान है जहाँ नृत्य नाटक, नाटक, खेल आदि हों। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों के मिलने से बना है। रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि द्रश्य को आकर्षक बनाने के लिए दीवारों छतों और पर्दों पर विविध प्रकार की चित्रकारी की जाती है, और अभिनेताओं की वेशभूषा तथा सज्जा में भी विविध रंगों का प्रयोग होता है। और मंच इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दर्शकों की सुविधा के लिए रंगमंच का तल फर्श से कुछ ऊँचा रहता है। दर्शकों के बैठने के स्थान को प्रेक्षागार और रंगमच सहित समग्र भवन को प्रेक्षागृह, रंगशाला, नाट्यशाला (या नृत्यशाला) कहते हैं। पश्चिमी देशों में इसे थिएटर या ऑपेरा नाम दिया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि नाट्यशाला का विकास
सर्वप्रथम भारत में ही हुआ। ऋग्वेद के कतिपय सूत्रों में
यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी आदि के कुछ संवाद है। इन संवादों में लोग
नाटक के विकास का चिह्न पाते है। अनुमान किया जाता है कि इन्हीं संवादों से
प्रेरणा ग्रहण करके लोगों ने नाटक की रचना की और नाट्यकला का विकास हुआ।
img cradit : wikipedia
img cradit : wikipedia
Thank you for Sharing This UPSC Full Syllabus
ReplyDelete