प्राईमरी क्लास में एक शिक्षक का
प्रवेश होता है| वो आज पढ़ाने के मूड में नहीं थे| अंत: उन्होंने बच्चो को मुश्किल
सवाल देता है| यह सवाल था कि 1 से 100 तक की गिनतियों का जोड़ बताना है| अब शिक्षक
आराम से कुर्सी से पीठ टिकाकर सो जाते है; लेकिन पांच ही मिनिट में आठ वर्षीय एक
बालक उसके आराम में खलेल डालता है| शिक्षक की आँखे यह देखकर फट जाती है क्युकि उस
बालक ने यह सवाल का हल विशेष तरीके से बहुत ही जल्द निकाल दिया था| यह बालक और कोई
नहीं बल्कि कार्ल फेडरिक ग्रॉस था| इस बालक को दुनिया ने 'गणित के राजकुमार' की
पदवी दी; जो निःसंदेह योग्य थी|
यह राजकुमार का जन्म 30 अप्रैल
1777 में जर्मनी में हुआ था| 15 वय की आयु तक गणित के क्षेत्र में वे अनेक महान
खोज कर चुके थे| जिनमे बोडीज़ का नियम, बीजगणित की द्विपद प्रमेय, समांतर-गुणोत्तर श्रेणियों के माध्य सम्बन्धी
प्रमेय, द्विघात व्युत्क्रम का नियम तथा अभाज्य संख्या प्रमेय मुख्य है|
ग्रोस गणित और विज्ञान के विभिन्न
क्षेत्रों में उनका योगदान रहा है| उनका योगदान इतिहास में सबसे प्रभावशाली रहा
है| बचपन से ही वे गणितीय प्रश्नों को तत्काल हल करने की क्षमता धराते थे| ग्राउस
ने कभी गणित को "विज्ञान की रानी" भी कहाँ है|
उनका जन्म जर्मनी के ब्रुंसविक
नामक स्थल पर एक ईट चुननेवाले मेमार के घर हुआ था| इसकी गणितीय प्रश्नों को तत्काल
हल कर देने की प्रतिभा का पता जब ब्रुंसविक के शासक को चला तब उन्होंने गटिंगन
विश्वविद्यालय में अध्ययन करने की व्यवस्था कर दी; जो जहाँ विद्यार्थी काल में
अनेक आविष्कार किया| सिरेस नामक ग्रह के सबंध में उन्होंने जो गणना की इसके कारण
ग्राउस की गणना खगोलशास्त्रियों में भी की जाती है| 1807 से मृत्यु पर्यत वे गर्टिगन
वेधशाला का निदेशक रहे| 77 वय की आयु में उनका निधन 23 फ़रवरी 1855 को गोटिंजन के हनोवर
राज्य में हुआ था|