यह जानने लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा| फ़्रांसीसी क्रांति और उसके नारे स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का भारतीय राष्ट्रवाद पर गहरा असर पडा|
सन् 1831 में जब राजा राम मोहन राय इंग्लैंड जा रहे थे तो उन्हें एक फ्रांसीसी जहाज़ पर फ़्रांस का झंडा लहराता दिखाई दिया| उसमें भी तीन रंग थे| 1857 की क्रांति ने भारतवासियों के दिल में आज़ादी के बीज बो दिए|
बीसवीं शताब्दी में जब स्वदेशी आंदोलन ने ज़ोर पकड़ा तो एक राष्ट्रीय ध्वज की ज़रूरत महसूस हुई| स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने सबसे पहले इसकी परिकल्पना की|
फिर 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में बंगाल के विभाजन के विरोध में एक रैली हुई जिसमें पहली बार तिरंगा झंडा फहराया गया| समय के साथ इसमें परिवर्तन होते रहे लेकिन जब अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ने का फ़ैसला किया तो देश के नेताओं को राष्ट्रीय ध्वज की चिंता हुई|
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक ध्वज समिति का गठन किया गया और उसमें यह फ़ैसला किया गया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे को कुछ परिवर्तनों के साथ राष्ट्र ध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया जाए, ये तिरंगा हो और इसके बीच में अशोक चक्र हो|
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