हमे बचपन से ही इतिहास पढाया और सुनाया जाता है| ये कहना भी गलत नहीं होगा की यह हम सभी को बोरिंग सब्जेक्ट लगता था क्योकि इतिहास की घटनाओ की तारीखे याद करना बहुत मुश्किल होता है, अगर ध्यान से देखा जाये तो इतिहास एक रोचक सब्जेक्ट भी है| इसके जरिये हम अपने अतीत को समझते है और उससे कई तरह की चीजे सीखते भी है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की इतिहासकारों को इतने समय पहली घटी घटनाओ का कैसे पता चल जाता है? कैसे आज से 5000 साल पुरानी हड़प्पा सभ्यता के रहन सहन, पहनावे, धार्मिक जीवन, कृषि एवं पशुपालन, उद्योग-धंधे, व्यापार और पतन के बारे में इतिहासकार इतने सटीक दावे करते है? अगर नहीं, तो जानते है यह द्वारा....
इतिहास को जानने, समझे और इसका अध्ययन करने के लिए 2 प्रकार के स्त्रोतो का सहारा लिया जाता है – साहित्यिक और पुरातात्विक स्रोत| साहित्यिक स्रोतों से प्राचीन काल के सामाजिक जीवन, धार्मिक जीवन, रहन सेहन, सांस्कृतिक जीवन की जानकारी प्राप्त होती है|
साहित्यिक स्रोत वह लिखित प्रमाण होते है जिनकी रचना उस काल में होती है जिसका अध्यन किया जा रहा हो| साहित्यिक स्त्रोतो में कई तरह की चीजे शामिल होती है जैसे मौलिक दस्तावेज, राजकीय रिकॉर्ड, पांडुलिपि, कविता, नाटक, संगीत, कला आदि| इतिहासकार इन्ही की मदद से उस काल या समय की जानकारी जुटाते है| उदहारण के तौर पर मोर्यकाल की जानकारी का सबसे अच्छा स्रोत कोटिल्य का अर्थशास्त्र माना जाता है| वही दक्षिण भारत के इतिहास को जानने का सर्वोतम स्रोत संगम साहित्य है|
इतिहास के अध्यन के लिए पुरातात्विक स्रोतों का भी बहुत महत्व है| इनमे अभिलेख, सिक्के, मुहरों, स्तूपों, चट्टानों, स्मारक और भवनों, मूर्तियों, चित्रकला और अन्य अवशेषों को रखा जाता है| हड़प्पा सभ्यता की जानकरी हमें पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त होती है| मोहें-जो-दड़ो से प्राप्त मुहरो के आधार पर ही इतिहासकारों ने हड़प्पा सभ्यता के धर्मिक जीवन पर प्रकाश डाला| इसी तरह कई तरह के स्मारकों से जहा उस समय की जीवन शैली का ज्ञान होता है वही उनके निर्माता के बारे में भी सूचनाये मिल जाती है|
Very Nice Article Mem. Good Work History Gujarat
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